
वर्तनी (Vartani) – शब्दों के ठीक-ठीक लिखने की ढंग को वर्तनी कहा जाता है। हिंदी में इसे अक्षरी भी कहा जाता है। उर्दू में इसे हिज्जे और अंग्रेजी में स्पेलिंग कहा जाता है।
सामान्यतयः देखा जाता है कि हिंदी लिखने में वर्तनी संबंधी भूले बहुत अधिक होती है। इसका कारण शब्दों का गलत उच्चारण करने से उसकी लिखावट भी गलत हो जाती है।
हिंदी के विद्वान एवं भारत सरकार ने वर्तनी संबंधी कुछ नियम बनाए हैं, जो निम्न प्रकार है –
वर्तनी के नियम (Vartani Ke Niyam) –
1 . सर्वनाम शब्दों को छोड़कर अन्य शब्दों से कारक की विभक्तिओं को अलग लिखना चाहिए। जैसे – राम ने, मोहन को, विपिन से आदि।
जब एक सर्वनाम के साथ दो विभक्तियाँ आएँ तब पहली विभक्ति को सर्वनाम के साथ लिखना चाहिए और दूसरी को अलग।
जैसे – उसके लिए, आपके पास, मैंने आदि।
2 . संयुक्त क्रियाओं में सभी सहायक क्रियाओं को अलग-अलग लिखना चाहिए। जैसे मैं पढ़ रहा हूँ।
3 . तक, साथ, आदि ‘अव्यय’ शब्दों से अलग लिखा जाए। जैसे – आपके साथ, मरने तक।
4 . पूर्वकालिक प्रत्यय ‘कर’ क्रिया से मिलाकर लिखना चाहिए। जैसे – खाकर, सोकर।
5 . द्वंद समास में पदों के बीच योजक चिन्ह (-) देना चाहिए।
6 . सा, जैसा आदि सारुपयवची के पहले योजक चिन्ह (-) देना चाहिए। जैसे – तुम-सा, मेरे-जैसे।
7 . जहाँ वर्गों के पंचम अक्षर के बाद उसी वर्ग का कोई वर्ण आवे, वहाँ अनुस्वार (ं) का ही प्रयोग करना चाहिए। जैसे – वंदना, कंपन आदि।
8 . में, नहीं, हैं आदि को छोड़कर शेष आवश्यक स्थानों पर चंद्रबिंदु (ँ) का प्रयोग करना चाहिए। जैसे – चाँद, काँपना आदि।
9 . अरबी, फारसी और उर्दू के शब्द हिंदी में जिस रूप में लिखे जा रहे हैं, उसी तरह चलाई जाने चाहिए।
जैसे – जवान, जवानी, तकिया, कुर्सी, जरूर, कमजोर आदि।
10 . संधि के नियम के अनुसार ‘इ’ ध्वनि के बाद ‘ए’ आने पर ‘ये’ हो जाता है, अतः गया, गये, गयी ही लिखना चाहिए।
11 . ‘लिए’ शब्द जब अव्यय के रूप में प्रयोग में आवे तो ‘ए’ का प्रयोग होता है। जब क्रिया के रूप में प्रयोग होता है, तो ‘लिये’ प्रयोग में लेना चाहिए। जैसे – मेरे लिए, मैंने रुपए लिये।
शब्द संबंधी अशुद्धियाँ और उनके शुद्ध रूप
| अशुद्ध | शुद्ध |
| अध्यन | अध्ययन |
| आशिर्वाद | आशीर्वाद |
| उपर | ऊपर |
| उँचाई | ऊँचाई |
| उन्नती | उन्नति |
| अस्थान | स्थान |
| सपष्ट | स्पष्ट |
| पैत्रिक | पैतृक |
| षष्टम | षष्ठ |
| संसारिक | सांसारिक |
| हिंदु | हिंदू |
| हिंदूस्तान | हिंदुस्तान |
| सकुशल पूर्वक | सकुशल, कुशलपूर्वक |
| उपरोक्त | उपर्युक्त |
| असपष्ट | अस्पष्ट |
| अशमय | असमय |
| अतिथी | अतिथि |
| आक्रोष | आक्रोश |
| अप्राधिक | आपराधिक |
| करुना | करुणा |
| इसाई | ईसाई |
| आधीन | अधीन |
| कवियित्री | कवयित्री |
| कनीष्ठ | कनिष्ठ |
| कँकण | कंकण |
| ऐतीहासिक | ऐतिहासिक |
| बृज | ब्रज |
| वाहनी | वाहिनी |
| सिंदुर | सिंदूर |
| दांत | दाँत |
| दुरजन | दुर्जन |
| सुर्य | सूर्य |
| सरवर | सरोवर |
| गृष्म | ग्रीष्म |
| द्वन्द | द्वंद्व |
| नछत्र | नक्षत्र |
| शिर्षक | शीर्षक |
| सम्पत्ती | सम्पत्ति |
| पत्नि | पत्नी |
| पुज्य | पूज्य |
| पिसाच | पिशाच |
| प्रान | प्राण |
| स्थाई | स्थायी |
| श्रोत | स्रोत |
| पूज्यनीय | पूजनीय |
| परोपकारी | परोपकार |
| परयंत | पर्यन्त |
| प्रमेश्वर | परमेश्वर |
| प्राकाष्ठा | पराकाष्ठा |
| विपत्ती | विपत्ति |
| अशुद्ध | शुद्ध |
| विशीष्ट | विशिष्ट |
| विसेष | विशेष |
| वीना | वीणा |
| वास्प | वाष्प |
| सन्मान | सम्मान |
| निर्दयी | निर्दय |
| वतावरण | वातावरण |
| सुचिपत्र | सूचीपत्र |
| शक्ती | शक्ति |
| घनीष्ठ | घनिष्ठ |
| बांस | बाँस |
| छटांक | छटाँक |
| दुख | दुःख |
| पहूँचा | पहुँचा |
| मंत्री-मंडल | मंत्रि-मंडल |
| धनमान | धनवान |
| उज्वल | उज्ज्वल |
| अनुयाई | अनुयायी |
| निरस | नीरस |
| शंकोच | संकोच |
| स्वभिमान | स्वाभिमान |
| सम्बाद | संवाद |
| ऊंचा | ऊँचा |
| मुह | मुँह |
| मनहर | मनोहर |
| मँहगा | महँगा |
| ऊँगली | उँगली |
| ज्येष्ट | ज्येष्ठ |
अभ्यास :-
(क.) वर्तनी किसे कहते हैं।
(ख.) हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी में वर्तनी को क्या कहा जाता है।
(ग.) कारक की विभक्तियों को सर्वनाम शब्द के साथ कैसे लिखा जाना चाहिए।
Final Thoughts –
आप यह हिंदी व्याकरण के भागों को भी पढ़े –
- व्याकरण | भाषा | वर्ण | स्वर वर्ण | व्यंजन वर्ण | शब्द | वाक्य | संधि | स्वर संधि | व्यंजन संधि | विसर्ग संधि | लिंग | वचन | कारक
- संज्ञा | सर्वनाम | विशेषण | क्रिया | काल | वाच्य | अव्यय | उपसर्ग | प्रत्यय | समास | विराम चिन्ह | रस-छंद-अलंकार